Chandigarh Bill Controversy: क्यों मोदी सरकार ने कदम पीछे खींचे?

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा था—लेकिन पंजाब BJP और सिख समुदाय की संवेदनशीलता ने इस कदम को अचानक ब्रेक लगा दिया।
सरकार का दावा है कि “UT के लिए बेहतर, modern legislative flexibility मिलेगी”, लेकिन जमीनी सच्चाई ये निकलकर आई कि पंजाब में लोग इसे Centre की हरकतों में नई एंट्री समझ बैठे।

Punjab में Emotional Trigger: BJP खुद समझाने में फेल

केंद्र ने पंजाब BJP नेताओं को एक “डिटेल्ड अनौपचारिक नोट” भेजकर बताया कि चंडीगढ़ की स्थिति unchanged रहेगी, पंजाब-हरियाणा की साझा राजधानी बनी रहेगी, सिर्फ कानून पास करने में आसान तरीका मिलेगा।

लेकिन जवाब मिला “ये जनता को नहीं समझा पाएंगे। लोग कहेंगे कि Centre फिर से छेड़छाड़ कर रहा है।”

2020-21 के कृषि कानूनों के बाद पैदा हुए अविश्वास का जख्म आज भी ताज़ा है।

Punjab की Sentiment Politics: Chandigarh हमेशा ‘अपना’ रहा है

पंजाब में एक बड़ी भावनात्मक धारणा है— “Chandigarh आखिरकार Punjab को मिलना चाहिए।”

ऐसे में किसी भी “संवैधानिक बदलाव” को लोग सीधे Centre vs Punjab की लड़ाई में बदल देते। सूत्रों के अनुसार, यह कदम सीमावर्ती राज्य में law-and-order तनाव भी बढ़ा सकता था।

नोट में क्या लिखा था? (Govt का TECHNICAL तर्क)

नोट में सरकार ने कहा:

चंडीगढ़ में Local Laws अपडेट करना मुश्किल

1966 के बाद से UT के लिए कोई अलग कानून नहीं बना। हर बार पंजाब/हरियाणा से कानून “borrow” करने पड़ते हैं।

Article 240 में लाने से

छोटे-मोटे बदलाव Parliament के बिना President के आदेश से हो जाएंगे। विधायी प्रक्रिया streamlined होगी। प्रशासन ज्यादा तेज़ और efficient

No impact on:

  1. Capital status
  2. नौकरशाही
  3. Law & order
  4. Existing agencies

सरकार की भाषा में:
“Just technical efficiency, not political redesign.”

लेकिन पंजाब की राजनीतिक भाषा में यह बन गया—“Centre फिर कोई नई चिट्ठी पढ़ने आया है!”

सिख समुदाय तक पहुंच की कोशिशों के बीच Timing ने सब बिगाड़ा

पंजाब BJP नेताओं के अनुसार, टाइमिंग बिल्कुल गलत थी। क्योंकि— गुरू तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस पर कार्यक्रम चल रहे थे। PM मोदी लगातार Sikh outreach कर रहे थे। Punjab University के मसले पर भी Centre पर गुस्सा ठंडा नहीं हुआ था।

एक वरिष्ठ नेता ने कहा- “लोग पहले ही कहते हैं कि Delhi मनमानी कर रही है… अब ये नया बिल आग में घी डाल देता।”

Technically यह Bill UT governance को modern बनाने का प्रयास था, लेकिन politically यह Punjab में emotional volcano को activate कर सकता था।
इसलिए सरकार ने समझदारी से ‘pause’ बटन दबा दिया—क्योंकि North India में चुनाव पास हों तो कोई risk नहीं लेता।

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